"नारी"(कविता)
नारी तू जीवन है,
मानव जन्म के पहचान की।
दया प्रेम करूणा भर दे जो,
रगो में इन्सान की।
तुम मानवता की मूरत हो
हृदय मे बसती सूरत हो।
मन मे नव चेतन भरने वाली
तुझमे छवी महान की।
प्रथम पाठशाला हम सबकी
लोरी गाती देकर थपकी।
खाना पीना चलना फिरना
सपनो के उड़ान की।
माँ बहन बेटी है नारी,
पत्नी बनती कितनी प्यारी।
दुनिया मे खुशहाली लाये
अधिकारी है सम्मान की।
Written by सुरेश कुमार 'राजा'
superb... nice...
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