"नजरिया"(कविता)

किसानी तो नहीं आसानी ,

गायों की कैसे चोरी ?

पकड़ाने पे क्यों आनाकानी ,

रक्षकों से क्यों सीनाजोरी ?

क्या समझा गया पशु -वाणी ,

कानूनी नजरिया क्या कोढी ?

अन्यायी ढोंगी करें मेजबानी ,

इश्क में काया गोरी ।

अंधेरी रातें नहीं अनजानी ,

 माँ न कभी भगोड़ी ।

प्यासी चिड़िया क्या अकानी ,

कहाँ चंदा और चकोरी ?

कर्णधारें हैं कितने दानी ,

किसके हाथों में कटोरी ?

अकारण देशद्रोही बताना कहानी ,

कहाँ खादी कालाबाजारी बोरी -बोरी ?

लम्हों की क्या मेहरबानी -

शिशुओं के लिये लोरी !

जनता कभी न बेपानी ,

रोटियाँ हीं कल्पना कोरी ।

कहाँ अब सही पानी ,

रानी हेतु क्या घोड़ी ?

कुर्सी की जिज्ञासा खानदानी ,

न कुआँ  तथा डोरी ।

पता - तिलक मैदान रोड ,एजाजी मार्ग, कुर्मी टोला ,मुजफ्फरपुर (बिहार )

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