"नजरिया"(कविता)
किसानी तो नहीं आसानी ,
गायों की कैसे चोरी ?
पकड़ाने पे क्यों आनाकानी ,
रक्षकों से क्यों सीनाजोरी ?
क्या समझा गया पशु -वाणी ,
कानूनी नजरिया क्या कोढी ?
अन्यायी ढोंगी करें मेजबानी ,
इश्क में काया गोरी ।
अंधेरी रातें नहीं अनजानी ,
माँ न कभी भगोड़ी ।
प्यासी चिड़िया क्या अकानी ,
कहाँ चंदा और चकोरी ?
कर्णधारें हैं कितने दानी ,
किसके हाथों में कटोरी ?
अकारण देशद्रोही बताना कहानी ,
कहाँ खादी कालाबाजारी बोरी -बोरी ?
लम्हों की क्या मेहरबानी -
शिशुओं के लिये लोरी !
जनता कभी न बेपानी ,
रोटियाँ हीं कल्पना कोरी ।
कहाँ अब सही पानी ,
रानी हेतु क्या घोड़ी ?
कुर्सी की जिज्ञासा खानदानी ,
न कुआँ तथा डोरी ।
Written by विजय शंकर प्रसाद
पता - तिलक मैदान रोड ,एजाजी मार्ग, कुर्मी टोला ,मुजफ्फरपुर (बिहार )
nice...
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