"मुलाकात"(कविता)

 हमारी पहली और

आखरी मुलाकात

याद रहे गी।


हमारे हिस्से आई 

आँसुओ की बारात

याद रहे गी।


सौगात में मीली हमे

तड़पाती हुई रात

याद रहे गी।


माँगीगी थी जो रब 

से वो मुरादे हमे

याद रहे गी।


साथ रहने की खाई

थी जो कसमें वो हमे

याद रहे गी।


कल हम जिंदा रहे न 

रहे तेरी वफा जरूर

याद रहे गी।

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