"मुझे खस्ताहाल में जीने दो"(कविता)

 कभी तो  मुझे अपने अंदाज में जीने दो

बीते  कल  को  छोड़  आज  में जीने दो


बहुत जी चुका हूं मैं  बीमारियों के बिना

कुछ दिन दाद,खुजली,खाज में जीने दो


हर बार कर देते हो जिंदगी आसान मेरी

कभी-कभी मुश्किल  सवाल मे जीने दो


तेरा मौन रहे मुबारक, तुम्हें सदा के लिए

मुझे तो हंसी,शोरगुल,बबाल  में जीने दो


मैं मनमौजी, फक्कड़, दौलत  क्या  जानू

तुम खुब उडो,मुझे खस्ताहाल मे जीने दो


देखो,मौत के साये पसरे हैं हर तरफ यहां

जीने के एहसास  को हर हाल में जीने दो

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