"मेरा साथ देगा कौन"(कविता)

 पतझड़ में शज़र पे बसेरा करेगा कौन

सेहरा में पानी की प्यास बुझाएगा कौन


शरीर में हड्डियां अब जवाब दे रही

इस उम्र में बुढ़ापे की लाठी बनेगा कौन


परिंदे सब अपना आसमान नाप रहे

मुफलिसी  में जमीन पर उतरेगा कौन।


शागिर्दों की भीड़ अब कहां लगती है

तन्हा रात में मेरा साथ देगा कौन।


तुम थे  तो हर लम्हा अपना था साहिल

मेरे जाने पर मुझको याद करेगा कौन।

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