"मत सोचना अधार्मिक हूँ"(कविता)

तेरी याद में रसिया 

मैं रात-रात भर जगती हूँ

दीये चराग बन कर

 मैंआहिस्ते- आहिस्ते 

     जलती हूँ !!


    तुम क्या जानो

     दिल की लगी

       कितनी हूँ मैं

          प्रेम पगी !!


 बालक जैसे हृदय है

 मत सोचना 

अधार्मिक हूँ,

     पवित्रता को 

     कायम रखती

    गोपनीय कविता 

     मार्मिक हूँ !!


सत्य -सनातन 

धर्म आधारित

मूल्यों की बुनियाद हूँ

संस्कृति के बंधन तोड़

प्रेम रोग से बाध्य हूँ !!


 काले बादल मंडराते हैं 

 जब-जब अपने प्रीत

       फलक पर

लरज-लरज आते हैं

 तब-तब स्वप्न सजीले

    गीत पलक पर !!


वेदना के सुर -लय लिए

भीगी गीत मैं गाती हूँ

 प्रीत तपन संवाद लिए

गहरी नींद सो जाती हूँ !!

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