"कीमतें -2"(कविता)
पृच्छा किया अजनबी क्यूँ कीमतें ,
सरोवर में कितना पानी है ?
जिंदगी में ठहरें कितने रास्तें ,
आगे बता कि कौन बेघर है ?
बाजारों में कैसे फटा खतें ,
मछलियों में क्या जहर है ?
कहाँ से आखिर आयेंगे फरिश्तें ,
कमलों को क्या डर है ?
कितना रंग हैं यारों बदलते ,
इश्क और वासना सफर है ?
हुस्नों पे क्यूँ आईना रमते ,
आग और जिस्म़ समंदर है !
लम्हें क्यूँ नहीं सहमते ,
क्या खिलौना अम्बर है ?
जुल्फों पे कहानियां कसरतें ,
कीचड़ों में तभी लहर है ।
परतों पे कितने परतें ,
ममतामयी आंखों पे कसर है !!
अपेक्षा पे क्या सुमरते ,
उपेक्षा की नाचें घर-घर है !!!
Written by विजय शंकर प्रसाद
बहुत बढ़िया
ReplyDeletenice...
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