"कविता कृष्ण की"
श्री राधे ,राधे ,राधे ,राधे
वृंदावन ऐसा वन नहीं,न तुलसी जैसा वृक्ष!
जिसकी दृष्टि अच्छी नहीं, वह क्या जाने कल्पवृक्ष!!
आज कृष्ण मेरे घर पे पधारे हैं!
वृन्दावन से मेरे घर पे पधारे है!!
मेरे विखरे कार्यो को संभाले है!
आज श्याम मेरे घर पे पधारे हैं!!
मेरा श्याम कृपा का समंदर है!
तीनो लोक इसके इसारो के अंदर है!!
मेरा गोविन्द विगड़ा विनाते है!
अपने भक्तों को पल में बचाते है!!
दुष्टो को ठिकाने पहुचाते है!
मुरली से भक्तों को रिझाते है!!
आज श्याम मेरे घर में पधारे है!
आज श्याम मेरे घर मे पधारे हैं !!
श्री राधा जी को श्याम बड़े प्यारे है!
नंद बाबा मैया यशोदा के दुलारे है!!
गोकुल वृन्दावन की आँखों के तारे है !
आज श्याम मेरे घर पे पधारे है !!
आज श्याम मेरे घर पे पधारे है !
आज श्याम मेरे घर पे पधारे है !!
आज श्याम मेरे घर पे पधारे है !
जय जय श्री राधे ,जय जय श्री राधे,! श्याम।
nice...
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