"काश कुछ कर पाते"(कविता)
अलविदा कहती साँसों को काश उन्हें बचा पातें।
कुछ पल उनके जीवन कि सासें हम भी बन जातें।
घुटती तड़पती साँसो में कुछ आक्सीजन भर पाते।
दम तोड़ती साॅसो ,को काश अगर कुछ कर पाते।
खो दिए सब ने सपनों को ,खो दिए अपने अपनो को।
सिस्टम से हालात जर-2हुआ ,कुछ ना रहा कहने को।
रोते बिलखते जाते हैं ,दर-दर ठोकर खाते हैं ।
लौटा दे सासें कोई किसी का ,सोशल मीडिया
पर गुहार लगाते हैं।
अपने हो या गैर देखकर सब कि आँखें भर जाती हैं।
कुछ बेरहमी दिलों के अन्दर करुणा नहीं भर पाती हैं।
प्राकृति का वरदान है, जीवन काश अगर समझ जाते।
कोशिश करके साॅसों को सासें देखकर वापस लाते।
अलविदा कहती साँसों को काश उन्हें बचा पाते।
कुछ पल उनको जीवन का सासें हम बन जाते।
काश उनके दर्द में अपनी दर्द को साझा कर पाते
अलविदा कहतीं साॅसों में अपनी सासें भर पाते।
Written by अली अंसारी
Gajab
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