"कलम चलती नही"(कविता)
अब कहानियां लिखने, लगा हूं मैं,
जिक्र तेरा अब गजलों में समता नहीं।
सारे लफ़्ज़ों को जोड़ने लगा हूं मैं,
तेरे नाम के आगे कलम चलती नहीं।
ख्वाबों, से अब जागने लगा हूं मैं,
एक तेरे ख्याल हमे जो सोने देते नहीं।
खिड़कियों से बातें करने लगा हूं मैं,
ये उदासीया खामोशियों को पसंद नहीं।
किसी शोर में तेरी आवाज़ सुनता हूं मैं,
तेरे आने की आहट मेहसूस होती नहीं।
Written by नीक राजपूत
superb... nice...
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