"जुल्फ़े"(कविता)

में  नही चाहता  की

तुम जुल्फें बांध कर

हवाओं   को नाराज़

करदो। इन्हें ऐसे ही

खुले  रेहने दो। एक 

यहीँ  तो है  जो मेरी 

तमाम  हसरतें और

ख्वाहिशो को जिंदा 

रखतीं  है।   क्योंकि 

वैसे तो मुझे बिखरी

चीज़े    पसँद   नही 

एक तेरी   जुल्फें ही 

हैं जिस्से हमें  कोई

गिला  शिकवा नही

हमें  गले   लगा  ने

का मौका तक नही

मिलता   एक   तेरी 

ज़ुल्फ़ ही गालो को 

अक्सर चूमा करती

है एक यहीँ औज़ार 

बिखरा   कर जुल्फें 

करतीं  हो तुम  वार

जान तो तुम ले नही 

सकती   बस   यहीं

एक आसान तरीका

जिस्से  तुम   हमारा 

क़त्ल   करती   हो।

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