"हनुमान जी के निम्न विशेष दोहे"
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के अनन्य भक्त,वीर वर श्री हनुमान जी के निम्न विशेष दोहे.....
विनती मेरी है प्रभू,मिटे तमस अभिमान।।
राम पियारे जानकी,कहत देव हनुमान।
इनकी पूजा जो करे,बढ़े जगत सम्मान।।
साँसों की माला बना,जपते रामहिं राम।
उर में बैठे राम हैं,तन है हरि का धाम।।
सीतारामी ओढ़कर,करो सुयश के काम।
पीडित की पीड़ा हरो,ले हनुमत का नाम।।
अक्षर अक्षर राम हैं,शब्द शब्द हनुमान।
लिये लेखनी आज लिख,देवों का गुणगान।।
महा विपत्ति घेरे खड़ी,विपदा में है जान।
अन्तरमन जपते रहो,सुपंचमुखी हनुमान।।
मातु ,पिता,गुरुदेव की,सेवा कर लो आज।
हनुमत कहते भक्त से,उनमें ही महराज।।
जिस घर सीताराम हैं,उस गृह दुखी न कोय।
यश,वैभव,धन,धान्य से,पूरित अंगना होय।।
दान दाहिने हाथ से,जो करते नर नारि।
बिन मांगे मोती मिले, सुवंश बढ़े उजियारि।।
इधर देखिये राम हैं,उधर देखिये राम।
तन,मन,उर,में राम हैं,अधर बसे सियराम।।
nice...
ReplyDelete