"गांव में वो पीपल का पेड़"(कविता)
गांव में वह पीपल का पेड़
अब मनहूस हो गया है
कुछ मुढ़ता वादी लोग ने
उस पर भूत प्रेत चुड़ैल डाकन का
साया घोषित कर दिया है
रात के सन्नाटे में वो पीपल का पेड़
नई पीढ़ी को अब डराने लगा है
दिन में जो हवा की शीतलता देता है
रात में हर राहगीर को डर बांटने लगा है
मूढ़ता कि हद तब हो गई
जब पीपल के भूत प्रेत चुड़ैल डाकन
आदमी और औरतों में घुसकर
देवी देवता बनकर
लोगों की आफतों से
छुटकारा दिलाने लगा है
धीरे-धीरे यह डर का व्यापार
गांव वालों को रास आने लगा है
तंत्र मंत्र झाड़-फूंक नीम हकीम
गांव में सब का धंधा चमकने लगा है
गांव में वह पीपल का पेड़
डर के साथ-साथ
दिन के उजाले में
आते जाते राहगीर को
ठंडी हवा और छांव देने लगा है
Written by कमल राठौर साहिल
superb... nice...
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