"चेहरे पर नकाब रखो"(कविता)

हौसलों के तरकश पास में रखो

गमो को अपने छुपा कर रखो


कोई छीन लेगा लबों की हंसी

अपने चेहरे पर  नकाब रखो


वक्त सगा नहीं किसी का कभी

अच्छा वक्त बचा कर रखो


लतीफ़ों को सुनकर मुस्कुराओ

गेरो को तुम सदा झांसे में रखो


जिंदगी की कशमकश से बाहर देखो

एक छोटा सा बच्चा  दिल में रखो

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