"बरगद देव जी की सेवा से जुड़े निम्न दोहे"

महापर्व सावित्री वट वृक्ष की पूजा है।इसे भारत की सुहागिन देवियाँ प्रातः काल हल्दी युक्त पीठे, मीठे गुलगुले,पुष्प, जल,और कच्चे सूत के धागे से 108 बारवन्दन पूजन करतीं हैं,कि प्रभू जी अनन्तकाल तक मेरा सुहाग बना रहे,सुखशांति,समृद्धि,सुयश,कुलवंश की वृद्धि हो,घर के सभी स्वजन निरोगी रहें,आनन्दित रहे ,अपने श्री पति की सम्पन्नता व दीर्घायू हेतु प्रार्थना करती हैं।

        वृक्षों में ही देवी,देवताओं का वास है,उनकी देखभाल,सेवा,उनके निकट रहना ही हम सबका धर्म है।वट वृक्ष की पूजा सभी को करना चाहिये।आज के दिन वट वृक्ष की डाल नहीं तोड़ना चाहिये।आज के दिन हम सबको एक नया वट वृक्ष लगाना चाहिये।

बरगद देव जी की सेवा से जुड़े निम्न दोहे आपके लिये,,,,


नारि सुहागिन कर रहीं,बरगद पूजा आज।

अनन्त काल तक पति जिये,बना रहे सरताज।।


बरगद बाबा की तरह,शांत रहें श्री मान।

जीवन भर सेवा करूं,करूं सधर्म सम्मान।।


कच्चा धागा प्रेम का,अर्पण है महराज

चरण पखारू आपके,जीवन रखियो लाज।।


शुद्ध वायू के देव हो,तन के बहुत विशाल।

कृपा रहे आशीष मय,बीतें सुख के साल।।


साधु,सन्त,औ ऋषि मुनी,शरण रहे वट वृक्ष।

बनें सभी तप,ध्यान से,वह महिमा मंडित दक्ष।।


बरगद की छाया सुखद,रहे निरोगी सन्त।

वायू शुद्ध बहती सदा,देखो कई बसन्त।।


ज्ञान,मान, सम्मान दें,पूत नेक वट देव।

कोटि प्रभू सेवा करें,कहते जग महदेव।।


पल में खुश हो जात हैं,बरगद जी महराज।

जिनके चरणों में झुका,शीश रहे यमराज।।


सदा सुहागिल नारि का,जग,घर हो सम्मान।

बरगद बाबा देत हैं,शुभ शुभ ये वरदान।।

वरिष्ठ कवि लेखक
साहित्य सम्पादक

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