"अनलिखे खतों का जवाब"(कविता)

 तुम 

नित्यप्रति 

मन ही मन 

लिखते रहे कुछ ख़त 

इन हवाओं में  

अपने अश्कों की नमी घोलकर 

मैं भी , चुपचाप 

पढ़ती रही तुम्हारे सभी अनलिखे ख़त 

संभालती रही  

सारे आंसू , करीने से 

अपनी पलकों में 

देती रही प्रत्युतर 

अपनी कविताओं में ,

प्रिय 

मेरी सारी कविताएँ 

तुम्हारे सभी अनलिखे खतों का जवाब हैं ........

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