"अहसास : पिता के वजूद का"(कविता)

 हम चाॅद सितारे हैं ,उस परिवार के, 

जिसका पिता एक आकाश होता है।

जिसके रोशनी से दमकता पूरा घर,

वह तो,पिता का ही प्रकाश होता है।

।1।

आसमां से ऊंची, गर है जगह कहीं,

तो वह, पिता का ही  स्थान होता है।

कंधों पे बैठा लेते,तब लगता मुझको,

इस सारे जगत का अभिमान छोटा है।

।2।

हमारे दुलार पे कुछ भी कहते नहीं वे,

उस चुप्पी में छुपा यार नजर आता है,

हमारी खुशी में लाखों गम भूल जाते,

तोतली पे दिल बाग -2 नजर आता है।

।3।

जोश आता कुछ कर गुजरने का पापा,

जब अंगुली  तुम्हारी हथेली में आता है।

सभी परिवारों के आदर्श बन जाते तुम,

जो मेरे उन्नति में चार चाँद लग जाता है।

।4।

तुम नहीं,तो लगता इस घर की छत नहीं,

जरा सी बयार में, तूफान नजर आता है।

आग के शोले से लगते,सारे बन्धु वाॅधव,

खिडकी से ये शहर वीरान नजर आता है।

।5।

Written by ओमप्रकाश गुप्ता बैलाडिला

किरंदुल, दंतेवाड़ा, छ0ग0

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