"अदृश्य शक्ति"(लेख)

अदृश्य शक्ति

जिसके पास सद् विचारों की पूंजी है।अपने सत्कर्म पर विश्वास है।अदृश्य शक्ति से अटूट रिश्ता रखता है,प्रेम करता है और उसके बताये रास्ते पर चलता है।उससे बड़ा सौभाग्यशाली,और कौन हो सकता है।

सच्चे प्रेम के रिश्ते शक्ति देते हैं,साहस देते हैं,सुदृष्टि देते हैं,ज्ञान देते हैं,सुख,समृद्ध,संतोष देते हैं। 

इसलिये रिश्तों का मोती,अगर अपनेपन के माले से टूट कर गिर जाये, तो उसे झुक कर उठा लेना चाहिये।उसे साफ करके पुनः माले में पिरो लेना ही समझदारी है।

नयी पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी,यह सोना,हीरा,मोती,माणिक हैं और आप सिर्फ एक धागा।अगर आप सबको जोड़कर माला बना लेते हैं,तो आपकी कीमत,उन्ही के बराबर आँकी जाएगी,और अगर आप अपने को उनसे दूर रखते हैं,तो आपका अस्तित्व,मूल्य,पहचान शून्य से न्यून रहेगी।हमें अपने सद् विचारों से नूतन समाज का निर्माण करना है।

भारत माता का लाल,अगर शीश झुकाता है,तो अपने माता पिता,बुजुर्ग,गुरुदेव के श्री चरणों में ,राष्ट्रध्वज सम्मान में या देव भूमि के वंदन,अभिनन्दन में।

      भारत का बच्चा बच्चा शीश उठा कर जीता है,राष्ट्रहित में जीता है,राष्ट्र के लिये जीता है।

आइये,हम सब गर्व से कहें कि हम भारतीय हैं।भारत की प्रगति के लिये,उन्नति के लिये,विकास के लिये,भारत की पहचान के लिये,खूब श्रम करेंगे,खूब पढ़ेंगे,संगठित रहेंगे,सुसंस्कारी बनेंगे,वीरों में वीर बनेंगे,साहसी बनेंगे।

     आइये,हम सब अपने बच्चों को तन,मन,धन से,ज्ञान धर्म से,खुले विचारों से मजबूत बनायें।

वरिष्ठ कवि लेखक
साहित्य सम्पादक

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