"तू कर्म कर"(कविता)
यह धरा बन गई रणभूमि
प्रतिदिन घट रहा यहां
धर्म युद्ध
कर्म युद्ध
शर्म युद्ध
इस युद्ध में शंख की हुंकार कर
तू बन अर्जुन इस रण में
गांडीव उठा प्रहार कर
धर्म पर जब बात आए
तू अभिमन्यु सा शोर्य दिखा
चक्रव्यू है ये अपनों का
कलयुग में तू तोड़ दिखा
डूब मर मगर शर्म युद्ध ना कर
अपने आपको तू ना लज्जित कर
यह रणभूमि है वीरों की
तू कर्म कर , तू कर्म कर,
Written by कमल राठौर साहिल
superb.....
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