"स्वच्छता"(कविता)

जब तक हम खु द ही  स्वछता के, 

   बारे में जाने गे  नहीं तब तक हम। 

दूसरों को कैसे   समजाएँ  गे  की,  

   असलमें स्वछता क्या है   क्योंकि,

स्वच्छता, है  हमारा  खरा  सोना।

   मिलकर  हमें  इस धरतीको स्वर्ग,

सा  सुंदर  बनाना  यहाँ वहाँ   हमें 

   प्लास्टिक  की  थैलिया,  चाय  के, 

साधारण  प्याले सूखे   कचरे का।

   नहीं  ढेर  लगाना  उन्हें   इक्कठा।

करके उनकी सही जगह पोहचाए, 

   घर  आँगन  को  भी   मोतियों सा। 

चमकाए, और   ये   स्वच्छता  की, 

   बात  हम  समाज  के लोगों   तक,

भी  पहुँचाये,  और शहर,  गलियों।

   को भी   बागीचों,  की  तरह   हम।

इन्हें,  भी  सजाएँ   स्वच्छता,  का

   अभियान  चलाकर   हम  देश को।

सफलता  को  रास्ते  पर  ले  आए,

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