"रक्षक ही भक्षक"(कविता)
सोशल मीडिया की ताकत सबके पास है,
यकी नहीं तो एक पहल कीजिये और तब देखिये
🙏🙏🙏
जब रक्षक भक्षक बन जाये,
शर्म हया भी पी जाये,
घमंड के मदिरे पान में,
मदमस्त अंधा हो जाये
तब पहल हमें ही करना होगा,
हिंसा हो या अहिंसा,
हर एक मार्ग अपनाना होगा,
कर्त्तव्य विमुक्त रक्षक को,
कर्त्तव्य याद दिलाना होगा
आओ धरा पर एक साथ पग रखे,
की धरती डगमग-डगमग डोल जाये
नींद खुले रक्षक का,
घमंड नशा का चूर हो,
अब बस करो बहुत हुआ,
आत्मा भी उसका बोल जाये
Written by #atsyogi
🙏
ReplyDeletethanks.... keep support
DeleteVery nice
ReplyDeletethanks.... keep support....
Deletethanks... keep support...
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