"पिता"(कविता)

उंगलियों को जो पकड 

चलना सिखाता है हमें। 

लेकर कांधे में अपने 

दुनिया घुमाता है हमें। 


जो हमारी मांग को 

हर हाल में पूरा करे। 

वक्त के झंझावात से 

लडना सिखाता है हमें। 


जो हमारे स्वप्न को 

नई चेतना उड़ान दे। 

अधपके बीज से 

पौधा बनाता है हमें। 


वो कभी अगर रूठ जाये 

तो जिंदगी तूफान है। 

याद आती हर घडी 

कितना रुलाता है हमें। 

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