"परवरदिगार का रहमोकरम :ईद"(कविता)


लाखों मुश्किलें आई,और लाखों रंजोगम झेले हैं,

रुशवाइयों के चलते, जाने कितने मंजर झमेले हैं, 

दुआएं कबूल होने से ही बनें ये खुशियों के मेले हैं,

गले  मिलने का वक्त है,वर्ना झंझट तो रेलमपेले हैं,

इस खुशी के ईद में ,भूल जाएँ आपस के रंजोगम,

अब फरियाद में मांग लें,परवरदिगार के रहमोकरम।

।1। 


बडे तकदीर और तकलीफ से जश्ने आज आया है,

मन्नतें पूरी होने पर ही ये खुशियाँ , सभी ने पाया है,

हर रूह में  हो मंदिर,हर दिल में पाक इबादत गाह,

धडकनों में उसका पैगाम हो औ मोहब्बत बेपनाह,

इस खुशी के ईद में, भूल जाएँ आपस के रंजोगम,

अब फरियाद में मांग लें,परवरदिगार के रहमोकरम।

।2। 


खुशी में जन्नत होती, और खूनी जंग  होते जहन्नुम,

जश्न लता के नग्मों से करें,औ रफी के छेडों तरन्नुम,

डां0 कलाम के कलम का पढो ' विंग ऑफ फायर'

जलियांवाला काॅल का फिर न जन्मे'जनरल डायर'

इस खुशी के ईद में, भूल जाएँ आपस के रंजोगम

अब फरियाद में मांग लें, परवरदिगार के रहमोकरम।

।3।

Written by ओमप्रकाश गुप्ता बैलाडिला

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