"मेरी माँ"(कविता)

आज भी वो आखरी शब्द

मेरे कानों में गूँजते है

जब उखड़ती साँसों से 

मेरी माँ ने कहा

में जीना चाहती हु !

में मरना नही चाहती!


आज भी मुझे याद है

थरथराते हाथों से जब

मेरी माँ ने मेरे सिर पर 

आखरी बार हाथ फेरा

ओर कुछ पलों बाद ही

काल ने मेरी माँ की साँसों को

हर लिया सदा के लिए


आज माँ नही है 

मगर माँ की यादे 

आँखे नम कर जाती है।

मेरी माँ अब सदा यादों में

ज़िंदा रहती है


माँ को याद करने के लिए 

मुझे किसी विशेष दिन की

जरूरत नही पड़ती

माँ तो मेरी हर साँस में सदा 

ज़िंदा रहती है 

जब तक मेरी साँसे 

चल रही है

 माँ हर पल मेरी 

आती जाती साँसों में 

रहती है जब तक मे हू 

मेरी माँ परछाई की तरह 

सदा मेरे साथ है।

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