"मजदूर क्यों मजबूर"(कविता)

वह आता सबका बोझा ढोता 

ईंटा पत्थर लोहा लाता। 

मिट्टी से वह महल बनाता। 

न डी ए बोनस पेंशन पाता। 


कल कारखाने देश की गाड़ी 

का पहिया वही चलाता है। 

देखो पैदल आता है। 


खेत में गेहूँ धान उगाता 

लाद के मण्डी में दे जाता। 

घी बनाता दूध बनाता 

लाकर हम सबको दे जाता। 


सोचो वो क्या खाता है। 

देखो पैदल आता है। 


उसकी दुनिया उजड रही है। 

देश की हालत बिगड़ रही है। 

बच्चा भूख से रोता है। 

खाली पेट ही सोता है।

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