"करो प्रकुति की पुजा"(कविता)

इस धरती पर मानव से  पहले,

  प्रकुति  का   जन्म  हुआ  था।

फूल पेड़ पौधे पहाड़  सरिता।

  समंदर  नीला,  गगन, ये  सब,

कुदरत का करिश्मा है। जिस,

  के बिना  मानव जीवन संभव,

नही इसी लिए  करो।  प्रकुति, 

  की पूजा  क्योकि  प्रकुति ही।

भगवान है। प्रकुति  है  सारा। 

  सँसार प्रकुति  ही  धरती का। 

सुंदर सौंदर्य  है। हमें मुफ़्त में,

  मिला उपहार है लेकीन  कुछ, 

लोग  कर रहे है  प्रकुति  को। 

  प्रदूषित प्रकुति का  दुरुपयोग,

कर इन्हें रहे है इन्हें क्या पता।

  प्रकुति ही  जीवन है।  प्रकुति, 

के बिना जी पाना मुश्किल है।

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