"जन मानस की खातिर"(कविता)
संविधान में कुछ संसोधन,
संविधान फिर बदलना होगा।।
किसी एक महापुरुष को,
फिर वहाँ पहुँचना होगा।।
लगे कुछ ऐसा एक्ट,
की नेता फिर बदलना होगा।।
ऊँच, नीच, फिर आरक्षण,
भेद सभी मिटाना होगा।।
जनमानस की खातिर,
प्रभु तुमको आना ही होगा।।
सच्चा हो सेवक प्रधान देश,
तिरंगा फिर से लहराना होगा।।
जुल्म मिटाने की खातिर,
प्रभु तुमको आना ही होगा।।
कदम - कदम पर चोर लुटेरे,
ईमान फिर बचाना होगा।।
आओ बैठो सब मिलकर,
फिर कोई रास्ता निकालना होगा।।
सही मार्गदर्शन की खातिर,
प्रभु तुमको आना ही होगा।।
Written by कवि महराज शैलेश
superb... nice.... keep it up.....
ReplyDeleteNice
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