"गर्भ में लेके बच्चे को बढ़ती है माँ"(कविता)
जब कोरोना का संकट पड़ा देश में,
लेके गोदी में बच्चे को लडती है माँ।
हो सुरक्षित मेरे देश का नागरिक,
गर्भ में लेके बच्चे को बढ़ती है माँ।
पुरानी पेंशन बुढ़ापे का सहारा जो थी,
छीन ली डी ए बोनस भी अर्पण किया।
देश मेरा बढे न रुके इसलिए,
हर कदम सोचकर यही चलती है माँ।
मोहल्ले को मेरे जिसने सेनेटाइजर किया,
उसी पुत्र की मौत पर कितना रोती है माँ।
मासूम बच्ची को दुष्कर्म कर मारते ,
देखकर कितनी बार मरती है भारत माँ।
Written by सुरेश कुमार 'राजा'
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