"व्यथा: मध्यम वर्ग"(कविता)

 आजकल के देश के मु्द्दों पर मेरे विचार।


हड़ताल न होने देना,एक हड़ताल

लील जाती रोजी रोटी कितने परिवार।

राष्ट्र अहित होता, सम्पत्ति का नुक़सान

अमीर देकर टैक्स मुक्त

गरीब न देकर हो मुक्त।


फंस जाते हैं आप हम जैसे

मध्यम वर्ग

जिनसे न उगले बने न निगले बने।


पिस जाते ज्यों अनाज संग घुन

हल न कोई पाते न चैन न राहत।


देश ही है परिवार हमारा

देश हित सर्वोपरि हमारा नारा।

 

संग साथ बैठकर सुलझा लो हर समस्या

अपना वतन आजाद,न बुनों नये जाल।


कितने वीर सपूतों ने गंवाएं प्राण

तब जाकर पाते ये आजाद श्वास।


स्वार्थ त्यागो सोचो जनहित

घर फूंक तमाशा करने वालों।


वीर सपूतों से सीखो

 सबक

जान हथेली पर रखकर चलने वालों से।


वीर देश की तुम हो सन्तान

रखना ऊंचा सदा भारत का भाल।।

Written by श्रीमती कमला मूलानी

Comments

  1. Wow 👏😮👏😮very nicely described the current situation 👌👏👍

    ReplyDelete
  2. Nice line's pls keep me posted

    ReplyDelete
  3. A dedicated verse for the HEROS of or nation....aptly described todays conditions..
    Keep uo the good work

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

"जिस्म़"(कविता)

"बेटियाँ"(कविता)

"उसकी मुस्कान" (कविता)

"बुलबुला"(कविता)

"वो रात" (कविता)