"तकदीर बदलती है"(कविता)
आज पैसे की दुनिया मे,
झूठ फरेब बोलकर आगे सदा रहे।
सोने ने सोना दुस्वार किया,
महँगाई में भूखे मर रहे।।
सत्ताधारी जनता पर,
क्या क्या अत्याचार कर रहे।
गरीब जनता लूट लूट कर,
कंगाल होते रहे।।
जनता जनार्दन जागेगी जब,
नेता मारे मारे फिर रहे।
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई,
सब भाई मानस पुत्र रहे।।
धरम करम के नाम पर,
आज दंगा करवा रहे।
मत भूलो सदा इन्सानियत,
इन्सान में ही रहे।।
इन्सान बनकर जो सदा,
हैवानियत बनते रहे।
कोई कहे ऐसा कोई कहे वैसा,
नही है कोई "हरिवंश" जैसा।।
पंडित पुजारी धरम कविता,
नही है कोई मधुशाला जैसा।
"हरिवंश" अमिताभ, अभिषेक,
एक से बड़कर एक ।।
अमर, सहारा, अंबानी,
जज्बात सदा खुशहाल रहे।
इन फरिश्तों की इन्सानियत,
इन्सान पर यु ही बनी रहे।।
जिन्दगी जीने की मिसाल,
इनसे मिलती रहे।
हर इन्सान इनकी,
अदा पर फिदा रहे।।
ये जोड़ियाँ सदा,
मेहरबान इनपे ख़ुदा रहे।
नशीब है "शैलेश" का,
आशीर्वाद इनका सब पर बना रहे।।
दुवाओं से तकदीर बदलती है,
यूं ही बदलती रहे।
ऐ हवाओं उन तक जाओ,
उनका पता याद रहे।।
मंजिल है मधुशाला,
हमसफ़र प्याला रहे।
आपकी जुदाई में "हरिवंश",
न जाने कहाँ कहाँ भटक रहे।।
nice........
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