"रिश्तों में तकरार"(कविता)
क्या ये जरूरी है ,बताने के लिए।।
की मैं तुमसे प्यार करता हुँ ।।
तुम खुद देखो मेरी आँखों मे।।
और चाहत का इजहार करो।।
तुम्हारे चेहरे पे मुस्कुराहट नही।।
क्या तुम्हें मुझसे प्यार नही।।
ये कैसा इनकार या इकरार है।।
क्या मेरा दिल औरो से बेकार है।।
अक्सर यही बातें दरार बनकर ।।
हर रिस्तो में तकरार बनकर ।।
प्यार के नाम पर धोखा देकर।।
जिंदगी दो नाव पर रखकर ।।
चल पड़ते है बिना सोच समझकर।।
कैसी परवरिश दोगे अपने बच्चों को।।
तुम ना उमीद हो जाओगे सोच सोचकर।।
कैसे नजर मिलाओगे नजर भरकर।।
तुम अपने स्वार्थ के लिए ।।
कही भी रहने को तैयार हो।।
कहते हैं उसे तलाक भी।।
जो अब तुम देने को तैयार हो।।
Written by कवि महराज शैलेश
superb.... nice......
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