"राम जी"(कविता)


राम तुम्हारे में था बहुत हिम्मत

तुम्हें थी अद्भुत सी शक्ति

कठिन से कठिन परीक्षा भी पार कर गए

राम तुम बने थे अच्छे बेटे


तुम थे कश्मकश के घेरे मे

तुमने निभाया अच्छा बेटे का फर्ज

न निभा पाए अच्छे पति का फर्ज


तुमने बचाया रावण से उन्हें

फिर भी उन्हे ही त्याग दिया

न दे पाए साथ पति पत्नी का


सीता ने तो अपना घर था त्यागा

वो जाए तो जाए कहा

जंगल को ही अपना घर था बनाया


लव कुश को तुम्हारा नाम था जपाया

उन्हें अपना भगवान था बताया

जय श्री राम का जप था करवाया


अंतिम समय में

उन्हें भी क्या मिला


वो धरती में गई समा

तुम्हारे हर परीक्षा को था किया पूरा

तुम न कर पाए पति का फर्ज पूरा

वो गई अपना हर फर्ज पूरा कर

सब कुछ त्याग गई वो

धरती में गई समा वो

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