"राघव पीट किवाड़ रह्या (हरियाणवी गीत)"
कोरोना बदमास घणा, यो गल़ी गल़ी म्हँ हांड़ रह्या
करै किसे नै रंड़ुआ बैरी,बणा किसे नै रांड़ रह्या
हम सोच्चैं थे कम होवैगा, यो पकड़ै रफ्तार घणी
छोट्टे-बड़े सभी की दुसमन,बोई फसल उजाड़ रह्या
घणी अकड़ म्हँ घूम्या करते,ऐंठे-ऐंठे डोल्लें थे
अच्छे-अच्छे धुरंधरां की,सारी सेक्खी झाड़ रह्या
मस्त कमाई करते थे हम,ठीकठाक थी दिनचर्या
उमड़घुमड़ कै आवै डाक्की,सारे खेल बिगाड़ रह्या
तोप तमंचे जैट मिसाइल, इक दूजे का मुँह ताक्कैं
मिली कोए ना काट आजलग,अर यो झंड़े गाड़ रह्या
मैड़िसन पै करैं भरोस्सा,आयुर्वेद नै दुत्कारैं
वैद्य देख कै नाक सिकोड़ैं,सरजन साँस उखाड़ रह्या
आज बणैगी- कल बण जावै दवा,बीतगे कितने दिन
एड़ी ठा ठा देख रह्ये,कोरोना चाल़े पाड़ रह्या
काल़ी मिरच शहद अदरक नींबू का रस नेती गागल
इननै थम अजमा कै देक्खो,राघव पीट किवाड़ रह्या
Written by विद्यावाचस्पति देशपाल राघव 'वाचाल'
superb.. great sir...
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