"पिता"(कविता)
पिता है तख़्ती, पिता क़ायदा
पिता क़लम है, पिता दवात
पिता है कुदरत की सौगात
काठ का घोड़ा, पिता खिलौना
पिता बिछौना, पिता ही खाट
पिता है लेकिन बारह बाट
पिता रास्ता, पिता है कूचा
पिता मुहल्ला-पूरा गाँव
पिता महकती ठण्डी छाँव
पिता किसान, खलिहान पिता है
सुख-सुविधा की खान पिता है
सम्बंधों की जान पिता है
पिता ही आँगन, पिता ही घर
पिता द्वार और पिता किवाड़
पिता के बिन सब सून-उजाड़
Written by विद्यावाचस्पति देशपाल राघव 'वाचाल'
superb... sir.....
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