"पहले गुड्डी थी,अब चिड़िया हूँ"(कविता)

पापा ,भइया ने हमारा गुड्डा ले लिया,

माँगती हूँ वह फिर जोर जोर रोता है।

अब हमने प्यारा गुड्डा उसको दे दिया,

उसके रोने से हमारा दिल धडकता है।

अब मैंने आपके हाथ, हथेली दे दिया,

"सोन चिरैया"के गाने का मन होता है।

।1।


ये उंगलियाँ ,आपकी मुटठी में है दिया,

अक्कड बक्कड खेलने,का जी होता है।

परियों के लोक किस्सा क्या सुना दिया,

अब उन सपनों में खोने का जी करता है।

पकडो इन दोनों बाहें,ये झूला मिल गया,

अब सावन घटा में पेंग भरने,मन होता है।

।2।


पापा,मैं कुछ सालों में बडी हो जाऊँगी,

जीवन में आता परिवर्तन ये समझाऊॅगी,

पहले गुड्डी थी चिडिया हूॅ औ बनूँगी परी,

तुम्हारे सपनों की,उन्हे लेके उड जाऊँगी।

छूटा सब,गुड्डा, चिरैया और झूले का पेंग,

कैसे भूलूँ, बस याद करूॅगी,याद आउॅगी।

।3।


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