"पहचान"(कविता)
अपनी मनमर्जी से शासन चलाना,
विरोध को कुचलते जाना,
झूठ बोलना, प्रोपेगंडा चलाना,
सत्ता के लिए किसी भी हद तक
गिरते जाना,
पहचान है जिस तरह
एक तानाशाह होने की,
मालिक को भगवान मानते जाना,
आदेश का उसके बिना सवाल किए
बस पालन करते जाना,
तर्क से रहना कोसों दूर
मालिक के समर्थन में लड़ते जाना,
पहचान है उसी तरह
एक गुलाम होने की।
कमजोर के हक में आवाज उठाना,
अन्याय को ना कभी सहना,
सच्चाई के पथ पर मिलें
जो कष्ट और दुश्वारियां
सामना उनका धैर्य से करते जाना,
पहचान है जिस तरह
एक सच्चे देशभक्त होने की,
आततायी का समर्थन करते जाना,
स्वार्थ में अपने मरते जाना,
चुप रहना अन्याय देखकर
बेईमानी को नजरंदाज करते जाना,
पहचान है उसी तरह
एक देश का गद्दार होने की।
Written by जितेन्द्र 'कबीर'
superb... heart touching....
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