"नशा इश्क का"(कविता)


इश्क के लम्हों से जब गुजरती है जिंदगी,

 हर मौसम को खुशगवार बनाती है जिंदगी ,


प्यार की होती है कौन सी उम्र यारों ,

हर उम्र में अपनी तलब दिखाती है जिंदगी ,


अब तो हर उम्र है  मयखाना शराब का, 

हर पैमाने को शिद्दत से भर्ती है जिंदगी ,


प्यार किसी प्रेमी का मोहताज नहीं होता ,

इसे हर रिश्तो से  उलझती  है जिंदगी,


 चढ़ती उम्र हो या उतरते जीने का सफर ,

आशिके  इश्क का एहसास कराती है जिंदगी,


 कभी सम्मान दे मदर टेरेसा बनाकर ,

कभी मजनू बना लहूलुहान कर जाती है जिंदगी,


 अपने इश्क में जरा विचारों की इतर मिला लेना ,

 फिर तबीयत से आशिक बनाती है जिंदगी ,


प्यार किसी उम्र किसी रिश्ते का मोहताज नहीं ,

अपने असली तत्व से मिलाती है जिंदगी,


 एहसास ए प्रेम में भगवान भी झुक जाते है,

भक्त का   भगवान  भी करते  है बंदगी।

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