"मेरे दोस्त"(कविता)
मेरे दोस्त वो मोहब्बत ही है।।
जो काँटों में भी गुलाब खिलता है।।
मेरे दोस्त वो मोहब्बत ही है।।
जो तू मुझे याद करता है।।
चाहा बहुत की न चाहूँ तुझे।।
पर तु भी गुलाब सा लगता है।।
कुछ इस कदर मोहब्बत है जनाब।।
की दिल को आराम सा लगता है।।
मेरे दोस्त वो मोहब्बत ही है।।
जो तुझे यादों में सजा रख्खा है।।
चाँदनी रातों में वो चाँद है ।।
बिना देखे जीना मुहाल है।।
वो नजर में कुछ ऐसे बस गई।।
की दिल मे तेरी मूरत बन गई।।
मेरे दोस्त वो मोहब्बत ही है।।
की तू मेरी जरूरत सी बन गई।।
मेरे हृदय की धड़कन कभी।।
तो कभी जिंदगी की सासें बन गई ।।
अब तो मोहब्बत मेरी जनाब।।
दुनिया मे मशहूर भी हो गई ।।
मेरे दोस्त वो मोहब्बत ही है।।
जो मेरी जिंदगी बदल सी गई।।
मेरे दोस्त वो मोहब्बत ही है।।
मेरे दोस्त वो मोहब्बत ही है।।
Written by कवि महराज शैलेश
बेहतरीन रचना ।
ReplyDeletesuperb....
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