"लाॅकडाउन :किसका दुप्रभाव"(लघुकथा)


पता नहीं कैसे, पास के जंगल से भागता चीता चिड़ियाघर में  आ गया,लगता है कि ढीले बाड में कहीं जगह पा गया होगा। वहाँ उसे चिड़ियाघर के बाड में रखे एक भालू से मुलाकात हो गई । भालू ने चीते से कहा, भाई तुम जंगल छोडकर यहाँ कैसे आ गये? चीते ने कहा,क्या बताऊँ ? भाई, जंगल में पहले जैसे कुछ नहीं बचा। घने घने जंगल वीरान हो गये है,पेड नहीं होने से हमारे निवास-स्थान खत्म हो गये,पानी के स्रोत सूख गये।जंगल में अवैध शिकार होने से हम लोगों की खाद्य श्रंखला पर बुरा असर हो रहा,कहने का मतलब गाय,बैल,भैंस,बकरी,खरगोश और हिरन इत्यादि हमारे जो भोजन हुआ करते थे,लालची मानव अपने जिह्वा स्वाद के लिए इनको भी मारकर खाने लगा है,इससे पर्यावरण तंत्र पर विपरीत असर तो हुआ ही,साथ ही साथ खुद भी अनेकों भयंकर बीमारियों का शिकार हो गया। देखो न, पता नहीं कहाँ से, कोरोना का वायरस आ गया,इसने तो ऐसा कहर ढाया कि पूछो मत। 

    इस पर भालू बोला, अरे भाई यह सब उसी बुरे कर्मो का परिणाम है,हम लोगों का प्राकृतिक निवास, भोजन और पानी के स्रोत को छीना ही, हमारे खाने का निवाला भी छीन लिया।

    बगल के बाडे में सियार इन दोनों की बात सुनकर बोला,अरे यह क्यों भूल रहे हो,अपना शौक पूरा मानव करने के चक्कर में हम लोगों का शिकार करने लगा ।

      इस पर चीता बोला कि उसने हमारी घूमने फिरने की आजादी छीन ली है यहाँ तक कि तुम सभी को जंगल से पकड कर चिड़ियाघर के बाडे में  लाॅकडाउन कर दिया है।इस पर भालू बोला, तभी तो उसको हमारा अभिशाप लगा है,अपने को बहुत सुपर समझता है,कोरोना वायरस ने पूरे मानव जगत को लाॅक डाउन कर दिया,वह भी मुँह पर मास्क लगा रहा,अब वह खुली हवा में सांस नही ले पा रहा। अगर अब भी नहीं चेता,तो इससे भी भयंकर परिणाम देखेगा।


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Comments

  1. कोरोना वायरस ने पूरे मानव जगत को लाॅक डाउन कर दिया,वह भी मुँह पर मास्क लगा रहा....
    nice line sir....

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