"ख्वाइश और औकात की जंग"(कविता)
औकात की पतवार तू ना चला पाएगा।
टूट कर बिखर जाएगी कश्ती तुम्हारी,
उस पार तू ना उतर पाएगा।।।
जिंदगी जंग है जंग का सिपाही है तू,
यहां सब कुछ हार कर ही जीत पाएगा।।।।।।।
ख्वाहिशें आसमान चूमेंगी तुम्हारी,
तेरे पांव में औकात की बेड़ियां होंगी।
कर्ज मर्ज फर्ज का झूला सजेगा,
जिंदगी भी उसके पायदान पर होगी ।
शिकन पेशानियों में दिख जाएगा,
यहां सब कुछ हार कर ही जीत पाएगा।।।।
कुछ पाने की तमन्ना में सब कुछ खोकर,
पाने का सुख तू न उठा पाएगा।
खोने का दुख इतना गहरा होगा ,
तमाम उम्र उससे ना ऊभर पाएगा ।
क्या खोया क्या पाया इससे उभर,
यहां सब कुछ हार कर ही जीत पाएगा।।।
चांद को पाने की तमन्ना लिए,
लहरों पर रास्ते न बना पाएगा।
चांद तारों से भरी महफिल में भी तू,
खुद को हमेशा अकेला पाएगा।
अनजानी है इस मंजिल की राहें,
खुद को खो कर ही वहां तक पहुंच पाएगा ।।।।।
अग्नि पथ है ये जीवन की राहें,
अग्नि पथी हो कर ही चल पाएगा।
ख्वाइशों की डोर न लंबी कर इतनी,
औकात के आगे तू न संभल पाएगा।
ये जीवन जंग है ख्वाहिश और औकात की,
यहां सब कुछ हार कर ही जीत पाएगा।।।।।।।।।।
kya bat hai manju ji... heart touching....
ReplyDeleteThanks
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