"जीजी"(कहानी)

जीजी

पूर्वी, अरे वो पूर्वी ' अभी तक सोयी है'पूर्वी झटके से उठ बैठी-घडी पर नजर डाली नौ बजे थे! आज इतनी देर तक सोयी रही'पूर्वी काफी देर तक बैठी सोचती रही-उठकर भी क्या करेगी 

करोना जो हो गया था! न कुछ काम था! न किसी को छूना था! 

ऊपर से फीवर'पैर की पिण्डलिया ऐसी चटख रही थी' दर्द से लग रहा था, जैसे अब पैर टूट जाऐगे' बडी बेटी अब तक चाय ले आयी थी'छोटी मम्मी चाय पी लिजिए नही तो ठण्डी हो जाऐगी'हा बेटा वही रख दो' और हा लापरवाही मत करो कम से कम मास्क तो लगाओ' जी छोटी माँ  दूर से ही निरीहं सी देखते हुए आंखों से ओझल हो गई बेटी'

  पूर्वी की आंख अभी लगी ही थी, या दवाईयों का नशा था-

पूर्वी पति ने झिझोड दिया-क्या हुआ ऐसी क्यू सोयी हो, पति के माथे पर पसीने की बूदें तैर गई, क्यू क्या हुआ थकी सी आवाज थी पूर्वी की, मै डर गया था! डरो मत मुझे कुछ नही होगा, आप अपना ख्याल रखो, पूर्वी के साथ ही पति जी की भी रिपोर्ट पाजिटिव आयी थी'और दोनो ने खुद को सबसे अलग कर लिया था! 

उन्हें पता था, उनकी दूरी से घर के सभी सदस्य सेफ रहेगें, और समझदारी इसी मे थी! 

अचानक से मोबाइल बज ऊठा, सबसे सम्पर्क का बस यही एक जरिया बचा था! सेलफोन,,,, 

उधर से आवाज आयी, मामा,,,,,,मम्मी अब दुनिया मे नही रही, और रोने के साथ ही फोन कट गया! 

अरे ऐसे कैसे-क्या हुआ पूर्वी ने प्रश्न वाचक दृष्टि डाली' जीजी नही रही,,,,,,, जीजी नही रही मतलब क्या 'आपका पूर्वी ने प्रश्न उछाला,, 

करोना हो गया था, ध्यान रखने वाला कोई नहीं था, रक्तचाप और रक्अल्पता का वार नही सह पायी 'और दुनिया से कूच कर गई, ओह',,, दुखद,,,, पूर्वी को फीवर की वजह से कुछ समझ न आया और चुपचाप दीवार की ओर देखने लगी, 

और सोचने लगी क्या सचमुच जानलेवा है ये बीमारी,, पहली बार कुछ दहशत हुई,, अगर मुझे कुछ हो गया तो, मेरे पति और बेटे को कौन सम्भालेंगा'और यदि पति को,,,,, आगे कुछ सोच न सकी पूर्वी,,,,,,,, 

शाम हो गई थी'सब ओर शांति थी'पर मन मे शोर था! जीजी का चेहरा आंखों मे समा गया था "दो बूदें गिर कर धरती मे समा गई, 

जीजी को पहली बार देखा था पूर्वी ने, जब वो दुल्हन बनकर आयी थी'जीजी बडे ससुर की बेटी थी'सभी भाभियो की सबसे बड़ी ननद'साधरण नैननक्श वाली' जीजी खुद को असाधारण समझती थी! घर मे कुछ भी उत्सव हो सबसे पहले जीजी ही आती थी! उन्हें कोई पंसद करे या नही पर वो मायके के लिए उपस्थित रहती थी! 

कई बार उन्हें सब चिढाते थे' की जीजी मरेगी तो पूरा शहर आऐगा, तो वो हंस देती, और आज जब वो सच

मे दुनिया छोड़ कर गई, तो कोई नही था! यहाँ तक मायके से एक शख्स भी नहीं' पूर्वी के कानों मै जीजी के शब्द गूंज गये'

पचास लोगों का मायका है मेरा, जहाँ भी पहुँच जाते हैं अलग ही दिखते है कितनी दंभ भरी बाते बोलती थी जीजी 'आज करोना की वजह से कोई न पहुँच सका, कितना अफसोस'

भला हो उन रिश्तो का जो उनके आप पास मौजूद थे जो कम से कम अंतिम वस्त्र ओढा सके' अब जैसे भी हो जीजी सबके बीच से जा चुकी थी'सच पूछिये करौना के भेट चढ चुकी थी, जीजी 

और अब मात्र स्मृति बन चुकी थी! बस उनकी आत्मा को शांति मिले' भगवान से यही प्रर्थना थी पूर्वी की,

Written by रीमा ठाकुर

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