"हनुमान"(कविता)

सीने में जिसके  प्रभू श्री राम  करलो।

पूजा  हनुमंत  की  यही है चारो धाम।


बल  बुद्धि  विद्या  के तुम  दाता हाथ,

में लिए गदा  प्रभु तुम हो। इस  सृष्टि। 


के विधाता।  सूरज  को  जिसने पल,

में अपने  मुँह  में छुपाया  बूरी शक्ति,

ओ को  जट  से तुम ने  दूर  भगाया।


हर पल  राम  भक्ति  काम   तुम्हारा।

अंजनी  पुत्र   कपिल  नाम  तुम्हारा।


तुम्हारे नाम से भूत पिशाच  सब दूर,

भागें।  भक्तों  को। संकट  से   सिर्फ,

तुम्हारा नाम  ही मुश्किलों  से पीछा।

छुड़ावै ऐसे मारुति नंदन को प्रणाम।

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