"गूँज"(कविता)

 अरमानों की

 बस्ती में 

तन्हाई की

 गूँज सुनते है।

बेदर्दो की

 महफ़िल में 

जख्म लिए

 फिरते है।।

मन है

 बेकरारी में 

फिर भी 

मुक़म्मल 

जी लिया 

करते है।।

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