"एक अज़ीम उपलब्धि"(कविता)

 जिक्र किया तुम्हारा

जब जब मैंने

अपनी कविता में,

पढ़ कर दिल धड़का तुम्हारा

कुछ पल सिर्फ मेरे लिए,

वही अनमोल पल

इस लेखन यात्रा की

एक अज़ीम उपलब्धि हैं मेरे लिए।


मैंने विरह लिखा जब

तो तड़प उठा तुम्हारा मन

जुदाई की आग में,

तुम्हारे रोम रोम ने

जरूरत महसूस की मेरी,

तुम्हारी वही तड़प

इस लेखन यात्रा की

एक अज़ीम उपलब्धि है मेरे लिए।


मैंने श्रृंगार लिखा जब

तो सारी दुनियादारी भूलकर

मन किया तुम्हारा

उड़कर मेरे पास पहुंच जाने को,

स्पर्श से मेरे मुझमें ही

एकरूप हो जाने को,

तुम्हारी वही चाह

इस लेखन यात्रा की

एक अज़ीम उपलब्धि है मेरे लिए।

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