"ध्रुवतारा"(कविता)
नभ मे टिमटिमाते तारे,
कितने सुंदर कितने प्यारे।
इन तारों में एक है तारा,
जिसका नाम है ध्रुवतारा।।
दूर गगन मे है चमकता,
सबसे ऊंचा चमकीला।
बच्चो को प्रेरित है करता,
जग मे चमको बनके तारा।।
दृढ़ निश्चयी रहो अटल,
कठिन परिश्रम करो निरन्तर।
जब तक तुम्हारे भाग्य का,
नभ मे चमके न सितारा।।
सत्य के पथ पर चलकर,
मंजिल का तय करो सफर।
कर्तव्यपरायण बनकर,
करो सबका मार्ग प्रशस्त।।
Written by प्रियंका पांडेय त्रिपाठी
superb... heart touching....
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DeleteNice🌺💐
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Deleteबहुत ही सुंदर रचना । बधाई हो मैडम । इसके लिए हमें भी बताने की कृपा करें मैडम 9572276664 पर । धन्यवाद !
ReplyDeleteThanks
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