"ध्रुवतारा"(कविता)

नभ मे टिमटिमाते तारे,

कितने सुंदर कितने प्यारे।

इन तारों में एक है तारा,

जिसका नाम है ध्रुवतारा।।


दूर गगन मे है चमकता,

सबसे ऊंचा चमकीला।

बच्चो को प्रेरित है करता,

जग मे चमको बनके तारा।।


दृढ़ निश्चयी रहो अटल,

कठिन परिश्रम करो निरन्तर।

जब तक तुम्हारे भाग्य का,

नभ मे चमके न सितारा।।


सत्य के पथ पर चलकर,

मंजिल का तय करो सफर।

कर्तव्यपरायण बनकर,

करो सबका मार्ग प्रशस्त।।

Written by प्रियंका पांडेय त्रिपाठी


Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

"जिस्म़"(कविता)

"बेटियाँ"(कविता)

"उसकी मुस्कान" (कविता)

"बुलबुला"(कविता)

"वो रात" (कविता)