"चुनावी शास्त्र"(कविता)
"आज के हालात में चुनाव जीतने के समीकरणों को व्यक्त करती मेरी रचना"
हो झूठे आश्वासनों का पुलिंदा तुम्हारे साथ,
तो चुनाव जीत सकते हो
बड़े नोटों के बंडल की भरमार तुम्हारे हाथ,
तो चुनाव जीत सकते हो
अमन, चैन, सकूं भाईचारा
अब ठीक नहीं है चुनाव के लिए
फैला सकते हो झूठ,नफरत,घात,प्रतिघात,
तो चुनाव जीत सकते हो
किसी को ना रोटी चाहिए,ना रोजगार चाहिए,
ना विकास चाहिए
कर सको तुम यदि शराब की बरसात,
तो चुनाव जीत सकते हो
प्रेम, शांति, सद्भावना, सद्व-विचार,
सहिष्णुता का क्या लेना देना
लड़ा के भाइयों को करें पैदा आग के हालात,
तो चुनाव जीत सकते हो
व्यर्थ है चुनाव में डोलना घर - घर
मतदाताओं के वोटों के लिए
बना सको शराब, कबाब की चुनाव पूर्व रात,
तो चुनाव जीत सकते हो
नियम कायदे कानून आदेश
अध्यादेश कहीं काम नहीं आते हैं
करें दंगा,फसाद,बूथ कैपचरिंग की वारदात,
तो चुनाव जीत सकते हो
सज्जन, सत्पुरुष ,शालीन, भले लोग
अक्सर घर में बैठ जाते हैं
हो बाहुबलीयों से मेल, मिलाप, मुलाकात,
तो चुनाव जीत सकते हो
लद गए वह दिन जब सिद्धांत, नीति,
नैतिकता से चुनाव जीते जाते थे
हो भ्रष्ट, बेईमान, धूर्त, अपराधी, गुंडा कुख्यात,
तो चुनाव जीत सकते हैं
करारा व्यंग ।
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