"छात्रन की हुइ गई बंटाधार"(कविता)

 हमरी नाव लगाओ पार छात्रन की हुइ गई बंटाधार !


जब से आवा कोरोना यार पढ़ाई कि हुई गई बंटाधार !


सारे काम तौ जारी हैं काहे बंद पड़ी पढ़ाई !


नेता जी कुर्सी के चक्कर मे काहे करत लड़ाई !


वोट डारी के खुदय बोलावत जनता धोका खाई !


राजनीति के दलदल मां हैं फसे विद्यार्थी यार !


हमरी नाव लगाओ पार, पढ़ाई कि हुई गई बंटाधार !


शुभ कार्य सब बंद पड़े हैं अब न मिलत लुगाई !


गले प्रेम से मिल न पाई कोरोना चपटा जाई !


भागी जा कोरोना तू कतना सबका रोवाई !


बढ़ा प्रकोप है तेरा फिर से कॉलेज बंद हुई जाई !


लेकिन सत्ता के मालिक रैली करिहें सरकार !


हमरी नाव लगाओ पार पढ़ाई कि हुई गई बंटाधार !


छात्रों की नाव लगाओ पार छात्रन कि हुई गई बंटाधार !

Comments

  1. भागी जा कोरोना तू कतना सबका रोवाई !
    बढ़ा प्रकोप है तेरा फिर से कॉलेज बंद हुई जाई !
    kya bat hai... nice line... superb...

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