"छात्रन की हुइ गई बंटाधार"(कविता)
हमरी नाव लगाओ पार छात्रन की हुइ गई बंटाधार !
जब से आवा कोरोना यार पढ़ाई कि हुई गई बंटाधार !
सारे काम तौ जारी हैं काहे बंद पड़ी पढ़ाई !
नेता जी कुर्सी के चक्कर मे काहे करत लड़ाई !
वोट डारी के खुदय बोलावत जनता धोका खाई !
राजनीति के दलदल मां हैं फसे विद्यार्थी यार !
हमरी नाव लगाओ पार, पढ़ाई कि हुई गई बंटाधार !
शुभ कार्य सब बंद पड़े हैं अब न मिलत लुगाई !
गले प्रेम से मिल न पाई कोरोना चपटा जाई !
भागी जा कोरोना तू कतना सबका रोवाई !
बढ़ा प्रकोप है तेरा फिर से कॉलेज बंद हुई जाई !
लेकिन सत्ता के मालिक रैली करिहें सरकार !
हमरी नाव लगाओ पार पढ़ाई कि हुई गई बंटाधार !
छात्रों की नाव लगाओ पार छात्रन कि हुई गई बंटाधार !
Written by आशुतोष मिश्र 'सांकृत्य'
भागी जा कोरोना तू कतना सबका रोवाई !
ReplyDeleteबढ़ा प्रकोप है तेरा फिर से कॉलेज बंद हुई जाई !
kya bat hai... nice line... superb...