"दिल को छूने वाली बात"(संस्मरण)

 दिल को छूने वाली बात

पहली बार जम्मू, माता वैष्णो देवी, दर्शन के लिए गया था। एक प्रतिष्टित स्कूल का सारा स्टाफ हर साल दर्शन के लिए जाते थे। इस बार मैं भी शामिल हो गया था। माता वैष्णो देवी की कृपा मुझ पर हुई थी। हम सभी लोग लगभग, चालीस लोगो का ग्रुप बन गया था।  बड़े हर्सोउल्लास के साथ सफर पूरा कर, माता वैष्णो देवी, के सभी को दर्शन प्राप्त हुए। बहुत ही आनंद के साथ आनंद लेते हुए। सभी सभ्य और देव तुल्य लोग थे। मेरे किसी अच्छे कर्मों की वजह से शायद मुझे उन सभी लोगो के साथ समय बिताने का अवसर मिला था। एक दूसरे के प्रति समर्पण और भाव ऐसा था। जैसे या तो फिल्मो में ही देखा था। या फिर आज देख रहा था। मेरा पहली बार जाना था उनके साथ। इसलिये मैं अजनबी सा था। लेकिन उन सभी के भाव ऐसे थे मेरे प्रति, जैसे मुझे वर्षो से जानते हो। मुझे याद है। दिसम्बर का महीना था। ठण्ड जोरो पर थी। सभी लोगो ने फैसला लिया कि,  होटल के लॉन में बैठ कर थोड़ा विश्राम किया जाय।और थोड़ी धूप भी लग जायेगी। मैं थोड़ा सा अलग हट कर बैठ गया। और बाकी सभी लोग भी आकर बैठ गये। थोड़ी देर बाद, मेरे पास तीन-चार लड़किया  आकर बैठ गई। और वो आपस मे बातें करने लगी। मैं अपने आप को थोड़ा असहज महसूस कर रहा था। तभी उनमे से एक लड़की मुझसे मुख़ातिब हो कर बोली क्या सोच रहे है आप। आप इतना गुमसुम से क्यों है। आप अकेले-अकेले से क्यों है। हम सब है न आप के साथ। मेरे पास कोई शब्द नही था। मैं उनके माँ, बाप की तरफ देखता रहा।ये सोच कर की नीयत और सोच अच्छी हो तो, सारा जहाँ आपका है। मैं आज भी वो उतनी सी बात नही भूल पाया हूँ।

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