"बस कहने की बात"(कविता)
कहा जाता है अक्सर
आंतरिक सुन्दरता है सर्वश्रेष्ठ
और बाहरी है मात्र आवरण,
फिर भी दुनिया में
खूबसूरती के आधार पर
भेदभाव का है खूब चलन,
तन को सुन्दर बनाने का क्रेज
तभी तो है दुनिया में बड़ा
और मन सुन्दर बनाने को
विरला ही करता है जतन,
कथनी और करनी में फर्क
ना इतना हो
तो बन जाए सुन्दर यह चमन।
कहा जाता है अक्सर
विद्या-बुद्धि की सम्पन्नता है सर्वश्रेष्ठ
और धन से है मात्र आवरण,
फिर भी दुनिया में
धन-संपत्ति के आधार पर
भेदभाव का है खूब चलन,
कैसे भी धन बनाने का क्रेज
तभी तो है दुनिया में बड़ा
और निर्धन से होता है सौतेलापन,
कथनी और करनी में फर्क
ना इतना हो
तो बन जाए सम्पन्न यह वतन।
Written by जितेन्द्र 'कबीर'
nice one...
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