"बदनाम शायर"(कविता)
मैं दवा लिखता हूँ,
तुम तकलीफ समझ लेते हो।
मैं वफ़ा करता हूँ,
तुम बेवफा समझ लेते हो।।
मैं रहम दिल हूँ,
तुम बेरहम समझ लेते हो।
मैं तो मुसाफ़िर हूँ,
तुम मंजिल समझ लेते हो।।
मैं भीड़ में तन्हां हूँ,
तुम कारवाँ समझ लेते हो।
मैं तो तुम्हारा अपना हूँ,
तुम बेगाना समझ लेते हो।।
मैं नब्ज लिखता हूँ,
तुम सिर्फ शब्द समझ लेते हो।
मैं गीत, गज़ल,कविता, हूँ,
तुम ख्याल समझ लेते हो।।
मैं कहाँ मशहूर हूँ,
तुम फिर बदनाम समझ लेते हो।
मैं हिंदी शब्द हूँ,
तुम फिर शायर समझ लेते हो।।
मैं तो सरल स्वभाव हूँ,
तुम फिर क्या समझ लेते हो।
मैं वही समझ हूँ,
तुम जिसे कुछ और समझ लेते हो।।
Written by कवि महराज शैलेश
superb....
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